उलझी हुई कुछ बातें.....

तू बरस .... !
कर, जो तेरे मन में आता है
मैं नहीं बोलूँगा कुछ तुझे 
कहूँ भी- तो अनसुना कर देना,
दिखावे के लिए कहना भी पड़ेगा मुझे !
ये तो बता...
ऊबता नहीं है क्या तू...?
उलझा के रखता है सबको !
तेरा पता भी नहीं है किसी के पास
और जिनके पास है...
वो तूने ख़ानाबदोश कर रखें हैं !
तू है के नहीं.....!?
वहम तो नहीं है ना तू...?
देख...
वहम मत बनना...
अपना होना साबित करने की ख़ातिर
मुझे पहले तेरा होना दिखाना है !
जा
बरस ले...
देर हो रही होगी तुझे !
फिर घर भी तो जाना है ना !?!

Comments

  1. nice.........aftr a longer time.........absurdty cms to play.......

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  2. Yes! this is the truest feel i had about this.
    ABSURD! but the MOST Focused piece. aabhaar!

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