सब तुम्हे कहने का मन होता है... बस तुम्हे कहने का...!!!
एक सीरे से दूसरे सीरे तक
हर तरफ देख कर सोच चुका हूँ !
हर तरफ देख कर सोच चुका हूँ !
मन की बात
हालात
खुशी
ख़ामोशी
सब तुम्हे कहने का मन होता है...
तुम्हे ही छूकर
अपने होने की
तसल्ली होती है मुझे...
अपने होने की
तसल्ली होती है मुझे...
मेरे अंधेरे कमरे में
तुम
बंद दरवाज़ों से आने वाली
उस रोशनी की तरह हो प्रिये
जिसके सहारे
मैं ढूँढ सकता हूँ
दर-ओ-दीवार अपने.
तुम हो क्या
क्या-क्या मेरे लिए
पता नहीं..
क्या-क्या मेरे लिए
पता नहीं..
बस इतना पता है कि...
मन की बात
हालात
ख़ुशी
ख़ामोशी
सब तुम्हे कहने का मन होता है...
हालात
ख़ुशी
ख़ामोशी
सब तुम्हे कहने का मन होता है...
बस तुम्हे कहने का...!!!
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