पिटारा


कुछ नमी सी थी मेरी मिट्टी में
जब मैने देखा कि
मैं धंसता जा रहा हूँ
मैने एक पिटारा खोला
उसमे से कुछ चुनिंदा पल
चुनकर निकाले
और
उस नमी को
सावन की रिमझिम बना डाला
फिर निकल पड़ा
भीगने
नाचने
मेरे अपने चाँद को
नमी का तिलक लगाने...
वो तुम्हारी यादों का पिटारा था...!

Comments

Popular posts from this blog

घूर के देखता हैं चाँद

Taar nukiley hotey hain

किसी को दिखता नहीं, इसका मतलब ये तो नहीं कि मैं हूँ ही नहीं!