लगा कि कहीं तुम तो नहीं... फिर लगा तुम कैसे हो सकते हो....


धुंध में दूर
इक परछाई दिखी
लगा कि कहीं तुम तो नहीं...
फिर लगा
तुम कैसे हो सकते हो
अभी अभी तो मैंने तुम्हें देखा था
तुम मेरे साथ टहल रहे थे
उस लंबी घुमावदार सड़क पर
जिसपे हम घंटों चला करते थे...
तुमने थामा हुआ था मेरा हाथ और
मैंने कहा था कुछ...
मुझे याद तो नहीं क्या कहा था...
पर तुम नाराज़ हुई थी उस बात पर
और कह कर गयी थी...
आज नहीं मिलूँगी तुमसे...
धुंध में दूर
इक परछाई दिखी
लगा कि कहीं तुम तो नहीं...
फिर लगा
तुम कैसे हो सकते हो....
तुम तो नाराज़ हो ना...



Comments

  1. Dhund k aanchal me
    yaadon k aagosh me

    kuch sapne
    kuch yaadein
    kuch lamhe
    kuch baatein

    sahej k rakhe hain

    k shayad
    kissi mod pe
    Kissi ote se

    tum milo
    tum dikho
    Kuch kaho
    kuch likho

    Dhund k aanchal me
    yaadon k aagosh me

    wo sapne
    wo yaadein
    wo lamhe
    wo baatein

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