कविता लिखना कानवास पे रंग भरने जैसा है या कानवास मे रंग भरना कविता कहने जैसा...

खाली तस्वीरें और भरे हुए Frame
और कागज़ में रंग भरने की कवायद.
शर्त ये कि
रंग सुंदर हों....
सुंदर भी इतने कि आँखों को चुभे नहीं
चेहरा पहचान आना नहीं....
मगर हो बिलकुल उस जैसा॥
न जाने
कविता लिखना
कानवास
पे रंग भरने जैसा है
या कानवास मे रंग भरना
कविता कहने जैसा....
शायद
दोनों एक जैसे हैं !
जैसे हम-तुम ॥

Comments

Popular posts from this blog

Taar nukiley hotey hain

घूर के देखता हैं चाँद

किसी को दिखता नहीं, इसका मतलब ये तो नहीं कि मैं हूँ ही नहीं!