वहाँ... शायद, वहीं..............


मुझसे पूछना मत
मैं
कह दूँगा सब बातें...

दिन आख़िरी सिर्फ़ काग़ज़ पर है
मैं तो
कल भी यहीं मिलूँगा
इसी मोड़ पर
तुम्हारा इंतज़ार करता हुआ
..
नहीं
शायद !!!
अब मुझे तुम्हारा इंतज़ार नहीं है
उम्मीद है बस,
किसी के आने की
जो मुझे ले जाएगा यहाँ से
ये कह कर
कि तुमने बुलाया है मुझे
वहाँ...

ये तो पता नहीं
कहाँ
मगर
वहाँ...
शायद,
वहीं.................
जहाँ
हम पहली बार मिले थे......

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