मेरी बगिया के फूलों में इक ख़ामोशी है !
मेरी बगिया के फूलों में इक ख़ामोशी है !
इंतज़ार है सबको किसी के आने का
सांझा इंतज़ार!
मेरी हर बात पर हाँ-हाँ करते हैं मेरी बगिया के फूल
और हैरान भी दिखते हैं कभी कभी...
दोहराते हैं हैरानी
अपनी मुस्कुराहटों में भी ।
छुपाते नहीं है कुछ भी,
कभी नाराजगी नहीं आती है
इनमें
ऐसा मैला रंग है ही
नहीं
मेरी बगिया के फूलों
में।
जीवन की सांप-सीढ़ी के इस खेल में
ये दोस्त साथ देते हैं मेरा,
जैसे बचपन के साथी हों मेरे,
और जिनके साथ मैंने खेला हो अपना ‘खुशपन’
अपना बचपन!
सच कहते हैं...
खुद को समेटने के लिए उनका हमेशा साथ रहना ज़रूरी है
जिनमें बांटा हो ख़ुद को....
तलाश नहीं करनी पड़ती तब साधनों की;
आ जाते हैं
खुशबू देखकर सब साथी...
बस यादों-और-साथ की बगिया संभालनी पड़ती है।
वही तो कर रहा हूँ,
तुम्हारे इंतज़ार में...
मेरी बगिया के फूलों में इक ख़ामोशी है !
इंतज़ार है सबको तुम्हारे आने का
सांझा इंतज़ार!
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