तुम्हारे बाद की बातें भी तो तुम्हारे साथ की बातों से अछूती नहीं हैं


हर साल तो आता है
सावन!
अपनी सालगिरह मनाने
बस पानी अलग-अलग रंग का लाता है
किसी बरस लाया था भूलने का पानी,
और अगली बार बरसा बूझने का पानी।
कई दफ़ा मिलते-जुलते से रंग ले आया
बिल्कुल वैसा जैसा मेल होता है इंद्रधनुष के रंगो में।
संदेसे लाया था पिछले बरस
तुमने बोला होगा ना...
या फिर किसी और ने
किसी अपने को !
वही रंग चुरा लाया
नासमझ...
भीनी-भीनी बारिश के बीच
सबको, सबका होना दिखाता है।
मुझे गणित नहीं आता..पहले से,
तुम बताओ अगर चाहो !?!
अबके कितने बरस का होगा
सावन?
हिसाब-किताब की बातें कर रहा हूँ तुमसे
तुम जैसी बातें।
तुम याद आते हो ना ...
तुम्हारे बाद की बातें
भी तो तुम्हारे साथ की बातों से अछूती नहीं हैं !
..... हर साल तो आता है सावन!

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