ये पल तुम्हारा है।

ये पल तुम्हारा है।

कान्हा !
झूमते-झूलते
निहारते-किलकारते
इठलाते-सकुचाते
रोते-मुस्कुराते


सब तुम्हारा है।
माखन और दुलार
सरल और श्रृंगार
पूर्णता-और
सार...
ओ मेरे करतार... सब तुम्हारा है।

गोद में अँगड़ाई
अँखमीच जम्हाई
कमर की तागड़ी
गले के चाँद-फूल

रात को जागना
अपना समय माँगना
बतियाना-जीवन सिखाना।
अब
तो सब तुम्हारा है।
कान्हा!
देखो तुम्हें बहाना बना कर
हम अपने प्रेम की उपासना करते हैं।

शब्दों से परे हो तुम।
परिभाषा से परे
कोष-संकोच से दूर।

कहाँ कही जाती है बातें तुम्हारी।

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