सब गीली मिट्टी से ही रचता है
खुशियाँ काफ़ूर होती देखीं हैं
बनते देखा है सपनों को.....
ईंट हो या स्वप्न
भाव हो या अपनापन
सब गीली मिट्टी से ही रचता है।
और बरसात इसीलिए होती है शायद!
बनते देखा है सपनों को.....
ईंट हो या स्वप्न
भाव हो या अपनापन
सब गीली मिट्टी से ही रचता है।
और बरसात इसीलिए होती है शायद!
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