एक रूमानी सपना

तुम्हारे संग...

तुम्हारे बिना

जब भी देखा है
रंग भरे हैं तुमने...
सपनों में आकर
और भरते गये हो।

कितने इंद्रधनुष हैं अब रात में मेरी!!!!

सारा घना आसमां जैसे अटा पड़ा है...............

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अधूरी कविता.....

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