अभी तो राम रास्ते में हैं!

अभी तो राम रास्ते में हैं!

आयें तो कहना...
मैं आया था
पूछने-बताने तो नहीं
कहने-चेताने तो नहीं
नहीं रोकने को-
ना टोकने को...
मैं आया था
बांटने को बातें
नाते-रिश्ते-सौगातें...
मुझे बताया के रास्ते में हो!
मैं पूछ बैठा देहरी से..
रास्ता कहाँ जा रहा है राम का...

देहरी कुछ अरसे से चुप ही रही
और मैं

इंतज़ार करके चला गया!

#दिवाली का महत्व या प्रासंगिकता नहीं.. अस्तित्व समझने का मन है!

Comments

Popular posts from this blog

घूर के देखता हैं चाँद

तुम उठोगे जब कल सुबह...

Second Post: कुछ अनकही सी.. जो कह दी है... फिर भी अनकही...