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Showing posts from September, 2014
...पर शब्दों परे की बात कही नहीं जाती।
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Parveen
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शब्दों से परे की बात है जो मेरे लिए वो तू अपनी नर्म मुठ्ठी में दबाये बैठा है। मेरी हथेली में शब्द मेरे भाग्य के पिरोये जाता है तू। तू युग सौंपता है और ज़रा सा भी दंभ नहीं। अहि सही कहते के सत्य तो वही जिसका संकेत तुम करो ये बचपना अनजान नहीं सब जानता है। मानवीय नहीं बस दैविक सब। तुहारी पलकें-आँखें मध्धम-मध्धम बोलना बुलबुलों से और हमारा जीवन दिखा देना हमें। तेरी मुट्ठी का जादू देख मेरे सर चढ़ बोलता है। पर शब्दों परे की बात कही नहीं जाती।
ये पल तुम्हारा है।
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Parveen
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ये पल तुम्हारा है। कान्हा ! झूमते-झूलते निहारते-किलकारते इठलाते-सकुचाते रोते-मुस्कुराते सब तुम्हारा है। माखन और दुलार सरल और श्रृंगार पूर्णता-और सार... ओ मेरे करतार... सब तुम्हारा है। गोद में अँगड़ाई अँखमीच जम्हाई कमर की तागड़ी गले के चाँद-फूल रात को जागना अपना समय माँगना बतियाना-जीवन सिखाना। अब तो सब तुम्हारा है। कान्हा! देखो तुम्हें बहाना बना कर हम अपने प्रेम की उपासना करते हैं। शब्दों से परे हो तुम। परिभाषा से परे कोष-संकोच से दूर। कहाँ कही जाती है बातें तुम्हारी।
For Eklavya- on EklavyaParv 07 August
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Parveen
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शब्दों से परे कितना कुछ होता है अहसास होता है आभास रहता है और फिर एक दिन आपका बचपन आपकी गोद में आ आपको बाँध देता है। आप उसी की मुस्कराहट में मुस्कुराते हो। वही आपके सपनों को जीवंत करता है। शब्दों में नहीं कही जाती कुछ खुशियाँ हाँ बस बाँट ली जाती हैं। मैं जब छू रहा अपने आप को अपनी बाहों में और अचंभित हो रहा हूँ जीवन कितने अच्छे से पिरोया है उसने और नन्हे-नन्हे हाथों में समेट दिया है संसार मेरा। शब्दों से परे है पापा-मम्मा कहने वाले का आना। हाँ, ख़ुशियों मेरी-हमारी मैं कह रहा हूँ। स्वातिपर्व और हमारा एकलव्य आया है आज।
तुम मेरे आप हो... आप मेरे गुरु हो!
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Parveen
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Respect and Love To All My Teachers.... From the Teachers of Guru Nanak Public School to Govt Senior Secondary School to K.T. Govt College Ratia... From UTD English to University College of Education... From Lather Sir's KUK and M.M. Polytechnic to My Students at Amity University... From my Parents to My Life Companion and Son... From Each One of YOU to Me... It is All Learning that has Happened to me! Parveen could not have been more better than this! I bow my head to my Teachers and Express my gratitude to them! If I can ever deliver a small portion of learning like them....as they did..have been doing..I shall feel fortunate! Being a Student, I can never surpass the Masters and that makes me feel more blessed! ....................................................................................................................... शब्दों को दोहराने की आज़ादी दे भी दो मुझे तुम तो तुम्हारे लाख कहने पर भी मैं कैसे लिखूं-कहूँ तुम्हारे बारे में कुछ! लाख पढ़ा-लिखा हूँ मैं मेरे मानस की र
कथा भाव से मिले और भाव मिले कथा से।
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Parveen
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कहो तो अगर बढाऊं आगे मैं दहलीज़ लफ्जों की कथा भाव से मिले और भाव मिले कथा से। और ये देखो ज़रा तुम्हारे हामी भरते ही किलकारियां लगी हैं खिलने और खुशबुएँ गूँजने लगी हैं मेरी-तुम्हारी-हमारी ओर। और ये आभास कितना अद्भूत है मिलन का। कभी सुनहरी-तो कभी सुर्ख़ कभी सुंदर तो कभी सुंदर से भी सुंदर। कितनी कल्पनाएँ कर लीं हैं हमने और सांझी ख़ुशी दे दी है हर आरोहण को-कथा को। सपने इतने सुंदर कभी ना थे अहसास-आभास तुममें मेरे होने का मेरे लिए जीवन से भी सुंदर है। : मद्धम मद्धम आँखें खुलना ख्व़ाब में भी तुम रहे और ख्व़ाब के बढ़ने बाद भी तुम ही सामने। तुमसे आती सर्द-गर्म साँसे और मुस्कुराहटें अनगिनत मुझसे मिलती हैं जैसे मैं कोई फूल अधखिला सा और तुम सुनहरी सुबह की रोशनी बनकर मुझे पूर्ण करते हो जीवन अपना मैंने तो न सोचा था ख़ुद ही कल्पना मैंने तो ना की थी अपने लिए पर जिसने भी मेरा ये जीवन बुना है कितना अच्छा है के मेरे लिए साथी तुम्हें चुना है।
देखें हम सारे ... सर्दियों की धूप
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Parveen
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हल्की ख़ुश पहली सी प्यारी अनोखी मुझ सी तुम सी सब सी बचपन भरी एकदम खरी ज़मीन पे आती सबको भाती दूर बहुत ही दूर की रहने वाली मद्धम मद्धम कहने वाली हर मौसम में आये जो हर मौसम लजाये जो कभी पकाती कभी सुखाती कभी जलाती और कभी बुझाती दिन को ये ही लाये हम तक हाँ- सच में सब तक-हम तक दहलीज पे आती दिवार पे चढ़ती आंगन में खेले बन जाते रेले नहीं आती तो ठिठुरन भी होती आ जाती टीओ बैठक जमती गाँव-देहात से शहरों तक दिन-दिन और पहरों तक जुड़ी हुई है सबसे ये तो यहीं रही है कबसे ये तो आओ चलो मिलते हैं इस से साथ-साथ में बात-बात में देखें हम सारे आज... सर्दियों की धूप