एक शब्द कहीं से मिला....

सीप की तलाश में भला
मैदान वाले किधर जायें॥
....
मोतियों की तो खरीददारी संभव है पर
जनक उनका फिर भी दूर हमसे...
और हम दंभ भरते हैं...
विकास का...

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