तुम ठहर गये थे............

तुम ठहर गये थे...
आज पहली बार!
मेरे लिये!
मुझे हैरानी हुई थी!
इतनी कि मुझे शब्द कम पड़ गये थे.

शब्द
जो मेरे पास बहुतायत में हुआ करते थे.

शब्द
जो मैं जब चाहे उडेल देता था.

शब्द
जो मेरे अपने हुआ करते थे...!
अहसास कुछ खो जाने का तब होता है
जब हम उसे खोजते हैं और पाते नहीं!
आज जब लंबे पलों बाद
तुम वापस लौटे... मेरे लिए रुके...
तो मुझे सचमुच हैरानी हुई थी....
..........उसी ने
मेरे शब्द
कम कर दिए थे...........
............................................................................

Comments

Popular posts from this blog

घूर के देखता हैं चाँद

तुम उठोगे जब कल सुबह...

आसक्त नहीं- सशक्त होना ज़रूरी है...