कुछ सहेजे हुए साथी आपसे बात करने के लिए कोने के केबिन को सौंप रहा हूँ...
कुछ नमी सी थी मेरी मिट्टी में
जब मैने देखा कि
मैं धंसता जा रहा हूँ
मैने एक पिटारा खोला
उसमे से कुछ चुनिंदा पल
चुनकर निकाले
उसमे से कुछ चुनिंदा पल
चुनकर निकाले
और
उस नमी को
सावन की रिमझिम बना डाला
उस नमी को
सावन की रिमझिम बना डाला
फिर निकल पड़ा
भीगने
नाचने
मेरे अपने चाँद को
नमी का तिलक लगाने...
भीगने
नाचने
मेरे अपने चाँद को
नमी का तिलक लगाने...
वो तुम्हारी यादों का पिटारा था...!
Tere saath bhi
ReplyDeleteTere baad bhi
tera Haath thaam
belagaam bhi
akele me
Bheed me
Raah me
Takdeer Me
rang me
har dhang me
Sung
vaada tha
Fir iraada tha
Nibhaa na sake
Afsos...