छुपन-छुपाई.....
छुपन-छुपाई
खेला करते बचपन में...
सोचा
करते खेल है ये-खेल खेल में
ढूंढा
करते छिपे हुओं को
गिनते
थे गिनती और दौड़ते जाते थे बोल-बोल कर
दोस्त
अपने को ना पहले कहते थे कुछ
हाँ...
कभी-कभी
उनको ही कहते थे पहले
……..
कितना
खिलाड़ी है ना ये ऊपर वाला
खेल
भी खेलता है और धप्पा भी नहीं करता।
बस
खोजने देता है
ख़ुद
ही- ख़ुद को!
Comments
Post a Comment