तुम पढा करते थे....

तुम पढा करते थे जिसमें
राज रानी की कहानियाँ
किस्से परियों के
बातें अच्छी अच्छी!
जब रास्ते केवल
मंज़िलों की ओर जाते थे...
डर लगता था किरदारों के गुम हो जाने का
बस, कहानी के ही डर हमें लगते थे.
कभी- कभी
एक कहानी बीच मे छोड़कर
दूसरी शुरू कर देते थे तुम---
जैसे, लोरी सुनता है कोई !!!
बचपन, गया थोड़ा पीछे......
और
वहीं-कहीं
कहानियाँ भी मूक हो गई हैं !!!?!!!

तुम पढा करते जिसमें
राजा-रानी की कहानियाँ.....
वो किताबें 

गुम हो गयीं हैं अब..//////!

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