नीम से कुछ पत्ते गिरे हैं...
नीम के पेड़ से आज अभी पत्ते गिर रहे हैं- सड़क भरी पड़ी है पत्तों से जो टूटे हैं अलग-अलग टहनियों से कोई तो मज़बूत रही होगी किऐ कमज़ोर ने भी त्याग दिया होगा फिर भी कोई टकराव नहीं सब सहज हैं-समर्पित। पत्ते ये किसी के भी पैरों तले आ रहे हैं। कितने सहनशील हैं। शील। कुछ गाढ़े हरे भी और बाकी पीले हैं कुछ अधपीले- कुछ छोटे हैं और कुछ दूर जा पड़े हैं अपने घर की सीमा से। फिर भी- मुझे पता है- मुझे ही क्या सबको पहचान है/ कि ये सब पत्ते नीम के ही हैं। नीम के इस पेड़ से आज-अभी कुछ पत्ते गिरे हैं।