धर्म ...कभी भूखे पेट सोये हो क्या...
धर्म तुम दिखने में कैसे हो
देखा नहीं है तुम्हें कभी...
तुम शरीर हो क्या कोई या
नाममात्र हो कुछ
पंछी तो तुम नहीं हो सकते
और तुम्हें पशु
मैं नहीं कहना चाहता।
तो भला कौन सा वर्ण
है तुम्हारा,कौन से
कुल के हो तुम?
धर्म तुम पढ़े-लिखे भी हो क्या
कभी रोटी देखी है तुमने
और कभी भूखे पेट सोये हो क्या
धर्म
तुम बेघर भी हो क्या
क्या हो तुम लहुलुहान बच्चे का चेहरा
क्या तुम बिलखती हुई माँ हो
हो क्या तुम एक टूटा हुआ पिता
क्या तुम असहाय बेटी हो
या भड़का हुआ बेटा?
......
देखा नहीं है तुम्हें कभी...
तुम शरीर हो क्या कोई या
नाममात्र हो कुछ
पंछी तो तुम नहीं हो सकते
और तुम्हें पशु
मैं नहीं कहना चाहता।
तो भला कौन सा वर्ण
है तुम्हारा,कौन से
कुल के हो तुम?
धर्म तुम पढ़े-लिखे भी हो क्या
कभी रोटी देखी है तुमने
और कभी भूखे पेट सोये हो क्या
धर्म
तुम बेघर भी हो क्या
क्या हो तुम लहुलुहान बच्चे का चेहरा
क्या तुम बिलखती हुई माँ हो
हो क्या तुम एक टूटा हुआ पिता
क्या तुम असहाय बेटी हो
या भड़का हुआ बेटा?
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