कुछ कदमों की बात थी...


मैंने कहा तुमसे कि
बात इतनी सी है
बस इतनी ही के
चलना है साथ तुम्हारे
और सब वैसा ही करना है जैसा जीवन होता है
संजोना है अपने आस-पास के रंगों को
बांटना है सब अच्छा-अच्छा
और फिर लौट के आना भी है
शाम ढले
हमारे अपने बनाये-सजाये घर में
बोलो साथ चलोगे...

ये जानते हुए भी
के ये सौदा कितना छोटा-सस्ता है
तुमने हामी भरी
संभालने-संजोने-सजाने को माने तुम
साथ चलना ज़्यादा बड़ी बात है
ये छोटी-सी बात जाने तुम
रंग लाये तुम
आस-पास के रंगों को भी
कितना भाए तुम...

आए और थामा मेरा हाथ तुमने
सौंपा अपने जीवन को और किया ये सौदा साथ का...

कुछ कदमों की बात थी...
और मेरे साथ हो लिए तुम।


जीवन भर के लिए!

Comments

Popular posts from this blog

Taar nukiley hotey hain

घूर के देखता हैं चाँद

किसी को दिखता नहीं, इसका मतलब ये तो नहीं कि मैं हूँ ही नहीं!