एकटक आती है याद तुम्हारी....


अक्सर तुम्हारा याद आना-आमतौर पे याद याद आने से
हल्का-सा अलग होता है....
ज़रूरी बातें गैर-ज़रूरी लगने लगती हैं-ख़ुद से ख़लिश जागती है...
कोई तस्वीर ढूँढने निकलता हूँ-तस्वीर भागती है...
रंगों में कुछ अनबन होती है-एक दूसरे पे उड़ेलने लगते हैं-एक दूसरे को...
कोई इधर भागता है-कोई उधर ताकता है-कुछ छुप जाते हैं-
तुम्हारे आने की उम्मीद में-
के तुम आओगे तो तरतीब दोगे कतार को-
तुम आओगे तो आईना साफ़ किया जायेगा-
तुम आओगे तो उदासी को अलविदा कहा जायेगा...
बादलों को मनाया जायेगा-ना भी माने तो तुम-
खिड़की बंद कर दोगे... झट-से...


एकटक आती है याद तुम्हारी
और धप्पा देती है मुझे...


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