बुरा नहीं होता फ़ेसबुक पर दर्ज़ होना सचमुच... बुरा नहीं होता।
बुरा नहीं हैं फेसबुक पर दर्ज़ होना पुराने-जीवंत जीवन को फिर से संजो लेना पुराने जिगरी दोस्तों को ढूंढ कर। बुरा नहीं है मन की बात कहना और सूचित रहना-जागरूक रहना। बिना पुछे मित्रों का कुशल-क्षेम जान लेना... बुरा नहीं है बधाई देना- बिना बोले स्वयं लिख देना दीवार पर भाव अपने और निश्चिंत हो जाना कि संबंध संभाल लिया है मैंने! बुरा नहीं हैं... छोटे शहर से आकर बड़े शहर में बस जाना। किराये के मकान को घर के वहम में रंग देना और अनमने मन से मन लगा लेना हर चीज़ में। दौड़-भाग-भागम-भाग में दौड़ते रहना और मशीन की भांति आराम-अवकाश के लिए कराहना। बुरा नहीं है बिलकुल भी आधुनिक होने का ढोंग करना और बाज़ारी सजावट में जाकर त्योहार ख़रीदना। बुरा तो नहीं हैं अपने गाँव को याद रखना या के बुरा है... दिये की भांति टिमटिमाना आस-पास अंधेरे के। भीड़ भरे जंगल में जहां सड़कें वहीं रहती हैं - बस शरीर दौड़ते हैं-अंधाधुंध सुबह को इसलिए कि शाम तक लौट कर आना है और शाम को इसलिए कि सुबह... एक गली भर मुल्क बनाकर एक मकान का एक तल... उसकी पर सब... ओ हुसना... ओ गुलाल... ओ जंगम-जोगी ओ री गऊ दहलीज़ तक आने वाली... बुरा नहीं होता है कमाना...