सड़क से सड़क
आलू गन्ने सरसों गेहूं ! सूरज की सुनहरी किरणों से चमकते-इठलाते... खेत देख रहा मैं सड़क से सड़क जाते। कितना कुछ है समझने-देखने को! जीवन को संसाधनों को ये प्रकृति कैसे अनुमति देती है सक्षम होने की। कैसे उग आते हैं कंकरों जैसे बीज मिट्टी भेदते हुए... नज़रिया हो तो हर मौसम में ज़िंदगी के उम्मीद की रंगत मिल जाती है। ज़मीन ही कुछ ऐसी है जीवन की! : The Morrning Musings