पूरा चाँद कितने उफान लाता है
पूरा चाँद कितने उफान लाता है भावों के अभावों के आने और जाने के सुनने-सुनाने के भूलने के-भुलाने के रूठने के-मनाने के रुकने-लौट के आने के। पूरे चाँद को इतना कुछ पता कैसे होता है? गुप्तचर से ये एक-एक कला जुड़ता हुआ सब जान जाता है एक ही पखवाड़े में। और हम लोग ये सोच बैठते हैं कि बिजली चमकी बादल गरजा अंधेरा हुआ और डर के छुपा पड़ा है चाँद! ये तो कर रहा होता है अपनी करामात कहीं दूर समुद्र में लाकर उफान धकेल देता है किनारों की ओर अथाह-अनंत भावों को और मिटा देता है कितना ही कुछ लिखा हुआ रेत पर।