पूरा चाँद कितने उफान लाता है
पूरा चाँद कितने उफान लाता है भावों के अभावों के आने और जाने के सुनने-सुनाने के भूलने के-भुलाने के रूठने के-मनाने के रुकने-लौट के आने के। पूरे चाँद को इतना कुछ पता कैसे होता ह...
मैं जब बात करूं कोने की तो बात अपनी सी लगती है दो दीवारें मिलती हैं दो किरदार भागे जाते हैं कोने की ओर कुछ अपनी बातें भी तो कोने में ही हो पाती हैं. कोने में रहना संतुष्टि देता है सबल करता है प्रबल बनता है और शायद प्रवीण भी! कोने का केबिन कोई खोज नहीं है यह सब पाया हुआ है संजोया हुआ है बांटने आया हूँ बस! दफ़्तर में केबिन कोने में ही है.... अपनापन अपनेपन से हो ही जाता है!