दीवार के उस पार-मेरे ही हैं सब!
दीवार के उस पार... दीवार के उस पार भी तो मेरा हिस्सा है मेरी यादें हैं! वहाँ भी वैसा ही उजाला है वैसे ही मौसम हैं... वही पतझड़ है वहाँ भी इतने ही पत्ते-जितने के यहाँ हैं गिरते उतने ही तो वहाँ भी गिरते हैं। वहाँ भी आग का धुआँ ऐसा ही तो है मेरे घर जैसा! इश्क़ भी वहाँ ऐसा ही और तो और बचपन के रंग भी... हुसना यहाँ गाये कोई तो वहाँ भी तो सुनता है कोई... कराहटें-और आहटें किस्मतों की सिलवटें ज़मीन के रंग-खाने के ढंग लिबासों की लज़्ज़त पकवानों के रंग... पानी का भी स्वभाव एक हवा-आसमां, और तो और गालियाँ भी सांझी। दोस्त को, दीवार के उस पार भी, वहाँ भी यार-बेल्ली-मित्तर प्यारा कहते हैं। वहाँ भी वही शाल ओढ़ते हैं सर्दी में जैसी मेरे यहाँ। वहाँ भी तो वही लोग हैं- जो दीवार के इस पार थे कभी। तीज-त्योहार-ख़ुशी-गुबार टीस- सब तो एक सा है। दीवार के उस तरफ़ भी-इस तरफ़ भी। कान लगाकर आवाज़ें नहीं सुनो तो भी आवाज़ आ ही जाती है। हम पड़ोसी नहीं हैं। हम भाई हैं। नक़्शे रिश्ते नहीं बदला करते। दीवार के इस-उस पार का अंधेरा-उजाला सांझा है। #unitedEmotions #IndiaPakistan @koneykacabin